भारत का भूटान को रेल कनेक्टिविटी का तोहफा

नई दिल्ली। भारत ने भूटान में दक्षिण एशियाई क्षेत्र की सबसे बड़ी रेल कनेक्टिविटी परियोजना की घोषणा की है। इसके तहत भूटान के गेलेफू और समत्से शहरों को भारत के असम के कोकराझाड़ और पश्चिम बंगाल के बनरहट से जोड़ने के लिए कुल 89 किलोमीटर लंबी रेल लाइनें बिछाई जाएंगी।
4,033 करोड़ की परियोजना से दोनों देशों को फायदा
करीब 4,033 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना से यात्रियों और माल ढुलाई दोनों को बड़ी सुविधा मिलेगी। रेल मंत्री अश्विनी महाजन ने बताया कि यह परियोजना पूरी तरह भारतीय फंडिंग और तकनीक से बनाई जाएगी। यह बिजली आधारित होगी और दोनों रेल मार्गों पर भविष्य में वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने की क्षमता होगी।
इससे भूटान के औद्योगिक और कृषि उत्पाद भारतीय बाजार तक आसानी से पहुंच सकेंगे और वहां से वैश्विक बाजार तक भेजे जा सकेंगे।
चीन की बढ़ती सक्रियता के बीच भारत का कदम
ऐसे समय में जब भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर लगातार बैठकें हो रही हैं और बीजिंग अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है, भारत की यह रेल परियोजना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
अन्य देशों के साथ रेल सहयोग
पिछले एक दशक में भारत ने बांग्लादेश और नेपाल के साथ रेल कनेक्टिविटी पर काफी काम किया है। अब भूटान में यह पहल पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंध और गहरे करेगी।
भूटान की आकांक्षाओं को मजबूती
भूटान की अर्थव्यवस्था अभी काफी हद तक भारत पर निर्भर है, हालांकि हाल के वर्षों में वहां के युवा चीन समेत अन्य देशों के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने की बात करते रहे हैं। हाल ही में न्यूयॉर्क में भूटान और बांग्लादेश के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा हुई थी।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि गेलेफू और समत्से का चयन सोच-समझकर किया गया है ताकि यह परियोजना भूटान की भावी रणनीति और भारत-भूटान साझेदारी दोनों को मजबूती दे सके।
क्यों महत्वपूर्ण हैं गेलेफू और समत्से
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समत्से: यह भूटान का बड़ा औद्योगिक शहर है जिसे भारत के औद्योगिक केंद्र कोकराझाड़ से जोड़ा जाएगा।
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गेलेफू: यहां भूटान सरकार एक नया जागरूक शहर विकसित कर रही है, जिसे बौद्ध धर्म और वैश्विक निवेश के लिए आकर्षण का केंद्र बनाया जा रहा है। इसे भारत से रेल नेटवर्क से जोड़कर भारत न केवल पड़ोसी धर्म निभा रहा है बल्कि भूटान की भविष्य की रणनीति में भी सहयोग कर रहा है।