नयी दिल्ली. सीबीआई ने गाजियाबाद स्थित वेबवर्क ट्रेड लिंक्स द्वारा कथित तौर पर किए गए 500 करोड़ रुपये के कैश-फॉर-क्लिक घोटाले के मामले में जांच अपने हाथ में ले ली है। इस घोटाले से निवेशकों को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचा।
कंपनी के पोर्टल एड्सबुक डॉट कॉम का प्रचार करने वाले बॉलीवुड अभिनेता शाहरूख खान और नवाजुद्दीन सिद्दिकी के नाम भी शिकायत में है। लेकिन मामले में अब तक जांच कर रही उार प्रदेश पुलिस और सीबीआई ने प्राथमिकी में उनके नाम आरोपियों के तौर पर शामिल नहीं किये हैं।
सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि अभिनेताओं से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है।
इस बाबत दोनों अभिनेताओं के दफ्तरों में ईमेल किये गये लेकिन जवाब नहीं मिला।
घोटाले में ठगे गये अमित जैन की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि वेबवर्क ट्रेड लिंक्स के प्रमोटर अनुराग जैन और संदेश वर्मा ने अपनी छद्म कंपनी एड्सबुक डॉट कॉम के दो ब्रांड एम्बेसडरों के तौर पर अभिनेताओं का इस्तेमाल कर लोगों को ठगा।
यह शिकायत प्राथमिकी का हिस्सा है। इसमें कहा गया है कि कंपनी ने नवाजुद्दीन सिद्दिकी और शाहरूख खान को ब्रांड एम्बेसडर बनाकर छद्म कंपनी एड्सबुक मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड खोली और एक प्रमुख टीवी समाचार चैनल पर विग्यापन शुरू कर दिया।
इसमें आरोप लगाया गया है, दोनों सेलिब्रिटी से प्रभावित होकर लोगों ने इसमें भारी निवेश किया।
शिकायत में कहा गया है कि जैन और वर्मा ने अपनी वेबसाइट पर विग्यापनों पर हर बार क्लिक करके आकर्षक भुगतान का लालच देकर लोगों से कथित तौर पर रुपये ऐंठे।
उार प्रदेश पुलिस के अनुसार, जैन और वर्मा ने क्लिक करके कमाने की योजना के लिए चार महीने में चार लाख से ज्यादा लोगों को सदस्यता दी।
शिकायत में आरोप हैं कि कंपनी ने योजना में शामिल होने के लिए उनसे 1.72 लाख रुपये लिये जिसमें लोगों को एक साल तक विग्यापनों पर क्लिक करने के लिए भुगतान की बात कही गयी थी।
लेकिन कुछ समय के बाद वेबसाइटों ने काम करना बंद कर दिया और कंपनी ने लोगों के फोन के जवाब भी नहीं दिये।
जब शिकायती कंपनी के दफ्तर पहुंचा तो उसे कथित तौर पर धमकाया गया।
आरोप यह भी है कि कंपनी ने लोगों को बिटकॉइन खाते शुरू करने के लिए बाध्य करना शुरू कर दिया। बिटकॉइन एक तरह की आभासी मुद्रा है।
पुलिस ने कहा था कि ऐसा आरोप है कि उन्होंने करीब दो लाख लोगों से 500 करोड़ रुपये से ज्यादा इकट्ठे किए।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ली और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के कथित उल्लंघन तथा धोखाधड़ी के मामले में जैन और वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी फिर से दर्ज की।
जब भी सीबीआई किसी प्रदेश की पुलिस से जांच अपने हाथ में लेती है तो वह उसी प्राथमिकी को फिर से दर्ज करती है जो प्रदेश पुलिस ने दर्ज की थी। इस मामले में अंतिम रिपोर्ट पूरी तरह अलग हो सकती है।