लखनऊ। राजनैतिक दलों की विदेशों से हो रही फंडिंग का विवाद अभी सुलझ नही पाया कि विदेशों से जेल में बंद बन्दियों को हो रही फंडिंग का एक नया मामला प्रकाश में आया है। मामला राजधानी की जिला जेल से जुड़ा है। जेल में बंद बांग्लादेशी बन्दियों को बांग्लादेश से फंडिंग की जा रही है। इस कार्य मे जेल अधिकारियों के साथ दर्जनों की संख्या में वार्डर भी शामिल है। इस सच का खुलासा एटीएस की जांच में हुआ है। उधर एटीएस के आईजी ने जांच की बात तो स्वीकार की लेकिन कुछ भी बताने से मना कर दिया।

मिली जानकारी के मुताबिक राजधानी की जिला जेल में बांग्लादेश के कई बन्दी निरुद्ध है। बन्दियों का खर्चापानी की फंडिंग बांग्लादेश से हो रही है। सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेशी बन्दियों की फंडिंग में जेल के कई अधिकारी व वार्डर शामिल है। बताया गया है कि बन्दियों के मैसेज भेजने के लिए वार्डर दो सौ से पांच सौ रुपये तक वसूल करते है। सूत्रों का कहना है कि स्थानीय व आसपास जिलों के बन्दियों के अलावा बांग्लादेशी बन्दी भी इन्ही वार्डर से मैसेज करवाते है। मैसेज के माध्यम से बन्दी खर्च के लिए पैसा भी मंगवाते है। विदेशों से आनी वाली रकम का 10 फीसद हिस्सा रकम लाने वाला वार्डर रखता है शेष धनराशि बन्दी को मिल जाती है।

इस सच का खुलासा उस वक्त हुआ जब एटीएस की टीम ने जेल में इसकी पड़ताल शुरू की। सूत्रों की मानें तो जेल में बंद बांग्लादेशी बन्दियों की फंडिंग बांग्लादेश से होने की भनक लगते ही एटीएस की टीम सक्रिय हो गयी। आनन-फानन में जेल बाहर पीसीओ व साइबर कैफे चलाने वाले (कैदियों) लोगों से पड़ताल की गई। पता चला कि इस काम मे जेल अधिकारियों के साथ जेल के करीब आधा दर्जन वार्डर शामिल है जो बन्दियों के मैसेज कराने के साथ बाहर से आने वाली रकम को मोटा कमीशन लेकर बन्दियों तक पहुँचाते है। यह रकम ढाका से चलकर वाया कोलकाता होते हुए लखनऊ पहुचती है।

एटीएस की जांच में हुए इस खुलासे से जेल अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। बन्दियों में चर्चा है कि जेल में यह काम पिछले काफी समय से चल रहा है। जेल अधिकारी जानकर अनजान बने हुए है। जेल प्रशासन के मारपीटकर हो रही अनाप-शनाप वसूली से बन्दी पहले से ही काफी त्रस्त है। इस खुलासे ने जेल अधीक्षक, जेलर समेत अन्य अफसरों  व सुरक्षाकर्मियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। अभी तक राजनीतिक दल एक दूसरे पर विदेशों से फंडिंग होने का आरोप लगाते नही थकते थे। इस नए खुलासे ने जेलो की सुरक्षा को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस संबंध में जेल अधीक्षक आशीष तिवारी से बात करने की कोशिश की गई तो तो उन्होंने फ़ोन ही नही उठाया। उधर आईजी एटीएस डॉ जीके गोस्वामी से संपर्क किया गया तो उन्होंने यह कहकर की जेल में जांच तो पिछले कई दिनों से चल रही है, जांच पूरी होने पर जो होगा प्रेस नोट जारी कर बता दिया जाएगा।

दो दर्जन वार्डर, अफसर व बन्दियों से हो चुकी पूछताछ!

राजधानी की जिला जेल में बांग्लादेशी बन्दियों की फंडिंग के मामले की जांच में जुटी एटीएस की टीम अब तक करीब दो दर्जन से अधिक वार्डर व बन्दियों से पूछताछ कर चुकी है। सूत्रों की मानें तो एटीएस कुछ वार्डरों को उठाने की फिराक में थी। इस पर जेल अधीक्षक व जेलर ने जांच में सहयोग किये जाने बात कहकर उन्हें पूछताछ के लिए ले जाने से रोक भी लिया था। बताया गया है कि एटीएस बीते करीब एक सप्ताह से इस मामले की जांच में जुटी हुई है। उधर जेल प्रशासन घटना को छिपाने में जुटा हुआ है।

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