लंबे समय से चीन-भारत समेत एशिया के कई देशों के साथ टकराव की स्थिति में है। बीते 15 जून को भारतीय सैनिकों के साथ की गई धोखेबाजी के चलते हुए ड्रैगन कई देशों के आंखों में खटक रहा है। अब अमेरिका ने चीन की दबंगई को रोकने के लिए एशिया में अपने सैनिकों की तैनाती करने का ऐलान किया है।

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने बताया कि भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, और फिलीपीन जैसे एशियाई देशों को चीन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर अमेरिका दुनिया भर में अपने सैनिकों की तैनाती की समीक्षा कर उन्हें इस तरह से तैनात कर रहा है कि वे जरूरत पड़ने पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीन की सेना) का मुकाबला कर सकें।

पोम्पिओ ने कहा कि हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारी तैनाती ऐसी हो कि चीनी सैनिकों का मुकाबला किया जा सके। हमें लगता है कि यह हमारे समय की यह चुनौती है और हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारे पास उससे निपटने के लिए सभी संसाधन उचित जगह पर उपलब्ध हों।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर सैनिकों की तैनाती की समीक्षा की जा रही है और इसी योजना के तहत अमेरिका, जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या करीब 52 हजार से घटा कर 25 हजार कर रहा है। पोम्पिओ ने कहा कि सैनिकों की तैनाती जमीनी स्थिति की वास्तविकता के आधार पर की जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘कुछ जगहों पर अमेरिकी संसाधन कम रहेंगे। कुछ अन्य जगह भी होंगे… मैंने अभी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से खतरे की बात कही है, इसलिए अब भारत को खतरा, वियतनाम को खतरा, मलेशिया, इंडोनेशिया को खतरा, दक्षिण चीन सागर की चुनौतियां हैं।’

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प को लेकर भी अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ चीन पर बरस चुके हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि चीन अपने पड़ोसियों के साथ धूर्त रवैया अपना रहा है। माइक पोम्पिओ ने डेनमार्क के कोपेनहेगन में आयोजित लोकतंत्र पर आयोजित एक ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में कहा था कि पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (चीनी सेना) ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के साथ सीमा पर तनाव पैदा कर दिया है।

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