नई दिल्ली: लॉकडाउन (Lockdown) ने दूध की डिमांड और सप्लाई पर भी असर डाला है. दरअसल दूध की खपत लॉकडाउन की वजह से 25% तक कम हो गई है. दूध का जितना उत्पादन हो रहा है, उतना बिक नहीं रहा. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर बचे हुए दूध का इस्तेमाल कहां हो रहा है?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस सवाल का जवाब सामने आया. दरअसल जो दूध बिक नहीं रहा है, उसका दूध पाउडर बनाया जा रहा है.

वित्त मंत्री ने बताया कि देश की मिल्क को-ऑपरेटिव 560 लाख टन दूध प्रतिदिन उत्पादन कर रही थी, लेकिन केवल 360 लाख टन ही रोजाना बिक पा रहा था. लेकिन जो दूध बिकने से बचा उसको दूध पाउडर बनाने के काम में ले आया गया,दूध पाउडर बनाने के लिए 111 करोड़ लीटर दूध ज्यादा खरीदा गया.

पशुपालन सचिव अतुल चतुर्वेदी ने बताया कि लॉकडाउन के दिनों में ही 52 दिनों में 1 लाख टन स्किम्ड मिल्क पाउडर ( दूध पाउडर) बना लिया गया है. ज्यादा दूध लिया गया, लेकिन किसानों को नुकसान नहीं होने दिया. हालांकि इससे डेयरी को-ऑपरेटिव पर लगभग 4 हजार करोड़ रुपए का बोझ आ गया. लिहाजा सरकार ने एक स्कीम निकाली कि जो डेयरी को-ऑपरेटिव अपने काम के लिए लोन लेंगी, उनको बैंक ब्याज में 2% छूट देंगे, और जो को-ऑपरेटिव समय पर इसको चुकाएंगे उनको अलग से 2% ब्याज छूट मिलेगी. यानी 4% की छूट मिलेगी. इस तरह 5,000 करोड़ रुपए डेयरी को-ऑपरेटिव को दिए गए. इससे कुल 2 करोड़ किसानों को फायदा हुआ. देश में दूध का उत्पादन लगभग 18.7 करोड़ टन सालाना होता है, जबकि दूध पाउडर का उत्पादन 2.46 लाख मीट्रिक टन होता है. लॉकडाउन में मिठाई की दुकान बंद रही और शादियों में भी मांग कम रही, घरों में भी सप्लाई बाधित हुई. इन सबसे दूध की खपत घट गई, ऐसे में दूध का सही इस्तेमाल करके इस बार दूध पाउडर का उत्पादन बढ़ा लिया गया है.

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