वाशिंगटन/बैंकाक, चीन पर निशाना साधते हुए ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि 21वीं सदी की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में साम्राज्यवादी शक्तियों के लिए कोई जगह नहीं है जहां बड़े देश छोटे देशों का लाभ उठा सकें।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते चीनी प्रभाव पर सवालों का जवाब देते कहा कि सभी देशों को एक दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करते हुए बराबरी का और अंतरराष्ट्रीय कानूनों एवं परंपराओं के अनुसार व्यवहार करना चाहिए।

उन्होंने बैंकाक में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ साम्राज्यवादी शक्तियों के लिए कोई जगह नहीं है। वे अतीत के दिन रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ वे तब के दिन थे जब बड़े देश बस अपने आकार के चलते छोटे देशों का लाभ उठा सकते थे। बस इसलिए कि कोई देश बड़ा है और कोई देश छोटा है, हम नहीं समझते हैं कि 21वीं सदी की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में उसके लिए कोई जगह नहीं है।’’

उनका बयान बैंकाक में पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के मौके पर आया है जहां हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के तेजी से बढ़ते सैन्य एवं आर्थिक विस्तारवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठा।

चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है जबकि ताइवान, फिलीपिन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी उसके कुछ कुछ हिस्से पर दावा करते हैं।

जब ओ ब्रायन से पूछा गया कि वह इस बात से कितना चिंतित है कि चीन नयी साम्राज्यवादी शक्ति बनने जा रहा है, तो उन्होंने कहा, ‘‘ दरअसल, मैं साम्राज्यवाद का जिक्र कर रहा था। मैं नहीं समझता कि मैंने उस संदर्भ में खासकर चीन का नाम लिया लेकिन यदि कोई चीन के आचरण या उसके कृत्यों को लेकर उसकी उस रूप में व्याख्या करे तो वे वैसे निष्कर्ष हो सकते हैं जो दूसरे निकालें। ’’

उन्होंने इस क्षेत्र में अमेरिका के दखल संबंधी चीन के आरोपों का भी खंडन किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां लंबे समय हैं। मैं समझता हूं कि हमने इस क्षेत्र में अपनी भूमिका के वास्ते सत्तर साल पहले अपना खून पसीना बहाया और पैसा लगाया, हम उससे पहले भी यहां रहे और तब से यहां हैं।’’

ओ ब्रायन ने कहा कि अमेरिका इस क्षेत्र में दखल नहीं दे रहा है और वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अहम किरदार है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने इस क्षेत्र में किसी भी अन्य देश से अधिक किया है और वह एशिया, दक्षिणपूर्व और खासकर एशिया में सहयोग के लिए कटिबद्ध है।

ब्रायन ने कहा कि पूरे हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका ने 1000 अरब डॉलर का निवेश किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह अमेरिका के लिए अहम क्षेत्र है। हम यहां निवेश करते हैं, हम यहां आते हैं, हम स्थायी रूप से हैं और हम पूर्व एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया के ताने-बाने का हिस्सा हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा मानना है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में सभी देशों को अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए निष्पक्षता, पारस्परिकता और परस्पर सम्मान से सहभागिता करनी चाहिए। हम नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में यकीन करते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय नियम और परंपरा में विश्वास करते हैं।’’

About The Author

Leave a Reply

%d bloggers like this: