प्रयागराज, अगले वर्ष यहां लगने वाले कुंभ मेले में देश विदेश से करोड़ों लोगों के आने की तैयारियों के बीच उत्तर प्रदेश सरकार अपनी महत्वाकांक्षी योजना- एक जनपद, एक उत्पाद (ओडीओपी) के तहत कारीगरों और शिल्पकारों को एक बड़ा मंच उपलब्ध कराने जा रही है। इसमें राज्य के तमाम हिस्सों के विशिष्ट उत्पाद और हस्तशिल्प कला के नमूने एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सकेंगे।

जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त अजय चौरसिया ने बताया कि राज्य सरकार ओडीओपी के लिए कुम्भ मेले के सेक्टर 1 में एक विशाल प्रदर्शनी-सह-बिक्री केंद्र स्थापित करने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए 4600 वर्ग मीटर भूमि चिह्नित की गई है।

उन्होंने बताया कि जर्मन हैंगर से लगाई जाने वाली इस प्रदर्शनी में 100 स्टॉल लगाए जाएंगे जहां प्रदेश के सभी 75 जिलों के उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा और उनकी बिक्री की जाएगी। कुछ जिलों के उत्पादों को तैयार करने का लाइव डेमो भी किया जाएगा।

चौरसिया ने बताया कि एक जनवरी से चार मार्च तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री करेंगे। इसी वर्ष 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर राज्य सरकार ने एक जनपद-एक उत्पाद योजना शुरू की है।

उन्होंने बताया, प्रदर्शनी स्थल पर एक बड़े गुब्बारे के माध्यम से रोजाना एक उत्पाद का प्रचार करने की हमारी योजना है। इस गुब्बारे पर अमुक उत्पाद के चित्र को मेला क्षेत्र में लोग दूर से देख सकेंगे।

कुम्भ मेले में इस प्रदर्शनी में अधिक से अधिक शिल्पकारों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक जिले से चार शिल्पकारों को अपने उत्पाद प्रदर्शित करने का अवसर दिया जाएगा और एक शिल्पकार 15 दिन तक अपने उत्पाद प्रदर्शित कर सकेगा।

उन्होंने कहा कि चूंकि इस कुम्भ मेले में बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय भी आ रहे हैं, इसलिए प्रदेश के शिल्पकार उनके माध्यम से अपने उत्पादों के निर्यात की भी संभावना तलाश सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि ओडीओपी योजना के तहत अमरोहा से वाद्य यंत्र (ढोलक), अलीगढ़ से ताले, आगरा से चमड़ा उत्पाद, आजमगढ़ से काली मिट्टी की कलाकृतियां, उन्नाव से जरी जरदोजी, एटा से घुंघरू घंटी, कन्नौज से इत्र, गाजीपुर से जूट वाल हैंगिंग, गोरखपुर से टेराकोटा और चित्रकूट से लकड़ी के खिलौने का चयन किया गया है।

इसी तरह, जौनपुर से ऊनी दरी, जालौन से हस्त निर्मित कागज, पीलीभीत से बांसुरी, प्रयागराज से मूंज उत्पाद, बलिया से बिंदी, बस्ती से काष्ठ शिल्प, बाराबंकी से हथकरघा उत्पाद, बांदा से शजर पत्थर शिल्प और सोनभद्र से कालीन का चयन किया गया है।

वहीं खाद्य उत्पादों में औरैया से देशी घी, कौशांबी से केला, गोंडा से दाल, प्रतापगढ़ से आंवला, फैजाबाद से गुड़, सिद्धार्थनगर से काला नमक, चावल, मुजफ्फरनगर से गुड़, हाथरस से हींग का चयन किया गया है।

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