बांदा। बांदा डिस्ट्रिक कापरेटिव बैंक लि0 की अर्तरा ब्रांच में मैनेजर और कैशियर ने किया बैंकर्स चेक के माध्यम से किया डिफरेंस खाते से किया लाखों का हेरफेर।

आरबीआई के आनुसार डिफरेंस खाते को कभी डेबिट नहीं किया जा सकता। इसके बाबजूद दिनांक चार नवम्बर 2015 को तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने कैशियर के माध्यम से डिफरेंस खाते को डेबिट किया।

चार नवम्बर 2015 को 3,67,000 रूपये और दिनांक 23 नवम्बर 2015 को 1,63,100 को गबन बैंकर्स चेक के माध्यम से किया गया।

गबन के लगभग तीन वर्ष बाद सितंबर 2018 मैं बैंक मुख्यालय से गठित टीम के द्वारा औचक निरीक्षण करने पर पकड़ में आया, जबकि वर्तमान शाखा प्रबंधक गजेंद्र कुमार नामदेव जो अतर्रा शाखा में एक वर्ष से अधिक समय से पद आसीन हैं।

गजेंद्र कुमार नामदेव को यह पूर्ण संज्ञान में रहा है। गजेंद्र कुमार नामदेव खुद ही इसके जांच अधिकारी बन गए।

गजेंद्र कुमार नामदेव ने अपने उच्चाधिकारी आरके पाण्डेय, सचिव/मुख्य कार्यपालक अधिकारी बांदा डिस्ट्रिक बैंक लि0 बांदा ने मिलकर दिनांक 16 अक्टूबर 2018 को 5,10682 रूपये जमा करा दिया गया।

यह पैसा नरेन्द्र कंचन द्वारा बैंक की ही शाखा कर्वी (मुख्य) से अतर्रा मुख्य शाखा के डिफरेंस खाते में जमा कराया गया। बाकी शेष पैसा 16 अक्टूबर 2018 को ही 19,418 रूपये भी जमा करा दिया गया। पूरे प्रकरण को छुपाने की जिम्मेदारी आरके पाण्डेय की है।

यूपीसीबी लखनऊ के तत्कालीन एमडी रविकांत सिंह भ्रष्टाचार के मामले में निलम्बित हैं जिन का हवाला स्वयं मुख्यालय के उच्चाधिकारी देते रहते हैं।

बांदा डिस्ट्रिक कापरेटिव बैंक लि0 की शाखा ओरन में लगभग 7 वर्षों से चल रहें गबन को राजनीति करते हुए लगभग एक दर्जन कर्मचारियों को आर के पाण्डेय ने निलम्बित किया है।

ज्ञात हो कि ओरन ब्रांच में 3.80 करोड़ का घोटाला विगत वर्ष अगस्त 2017 में उजागर हुआ था। इसकी जांच अभी तक चल रही है। जांच के नाम पर अन्य कई कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है।

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