नयी दिल्ली, इंटरनेट सर्च इंजन कंपनी गूगल ने गुरुवार को कहा कि वह राजनीतिक विज्ञापनों में “अधिक पारदर्शिता” लाने के उपायों पर काम कर रही है। उसका यह बयान भारत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों और अगले वर्ष लोकसभा चुनाव से पहले आया है।

प्रौद्योगिकी कंपनियों को उनके सोसल नेटवर्किंग ऐप पर झूठी और फर्जी खबरों को लेकर दुनिया भर में तीखी आलोचानाओं को सामना करना पड़ रहा है।

अमेरिका फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों के लिये राजनीतिक विज्ञापनों के प्रायोजकों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर साझा करने को अनिवार्य बनाने का कानून लाने विचार कर रहा है। कंपनियों को विज्ञापनों पर किये गये खर्च और लक्षित समूह के बारे में भी जानकारी देनी होगी।

गूगल के प्रवक्ता ने पीटीआई-भाषा को बताया, “हम उन उपायों को अतिंम रूप देने में लगे हुये है, जो हमारे प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापनों को अधिक पारदर्शी बनाने में मदद करेंगे।”

प्रवक्ता ने कहा कि उपायों पर अभी काम चल रहा है। काम पूरा होने के बाद कंपनी राजनीतिक विज्ञापनों से जुड़ी अधिक जानकारियां साझा कर सकेगी। कंपनी चुनावों को साफ सुथरा बनाये रखने के चुनाव आयोग के प्रयासों का समर्थन करेगी। गूगल, ट्विटर और फेसबुक के प्रतिनिधियों ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की। इस दौरान आगामी चुनावों में उनकी भूमिका को लेकर चर्चा हुयी।

प्रवक्ता ने चुनाव आयोग के साथ वार्ता से जुड़ी जानकारी नहीं दी है। हालांकि, कहा जा रहा है कि गूगल के साथ-साथ फेसबुक और ट्विटर आगामी चुनावों के दौरान राजनीतिक विज्ञापनों और प्रचार सामग्री की निगरानी करने तथा फर्जी खबरों एवं आपत्तिजनक सामग्री को प्रतिबंधित (ब्लॉक) करने पर सहमत हुयी हैं।

साथ ही ये कंपनियां मतदान से 48 घंटे यानी दो दिन पहले इस बात को सुनिश्चित करेंगी कि किसी भी तरह के राजनीतिक विज्ञापन पोस्ट न किए जा सकें। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलगांना में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं जबकि अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होंगे।

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