लखनऊ, प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सामने आए एक मामले से साबित हो रहा है कि कैसे बिल्डर लोगों की खून-पसीने से अर्जित गाढ़ी कमाई से न सिर्फ आम आदमी को ठग रहे हैं बल्कि केंद्र व राज्य सरकारों को भी जीएसटी के नाम पर चूना लगा रहे हैं। यही नहीं निरस्त जीएसटी नंबर के साथ इनबिल्ड बैंक अकाउंट में पैसा न लेकर बिल्डर अन्य बैंक खाते में पैसा ले लगा रहे हैं सरकार को चूना।

आजाद नगर, आलमबाग लखनऊ के निवासी डॉ. मोहम्मद फरीद ने बताया कि मेसर्स राघवेंद्र कंस्ट्रक्शन जिसके प्रोपराइटर राघवेंद्र सिंह, निवासी एसएस-।।-1512, सेक्टर डी 1, एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड, लखनऊ द्वारा उनके मध्य दो मंज़िला भवन निर्माण हेतु बिल्डर राघवेंद्र सिंह से करार हुआ था। यह अनुबंध पत्र दिनांक 26-11-2021 और 04-03-2022 को निष्पादित किया गया था।

डॉ. फरीद ने बताया कि आलमबाग स्थित उनके वर्तमान मकान में मॉनसून के दौरान जल-भराव हो जाता था। जिसके चलते उन्होने अपने खाली पड़े प्लॉट में नया भवन निर्माण कराने का फैसला लिया।

डॉ. फरीद ने बताया कि शुरू में तो बिल्डर राघवेंद्र सिंह ने काम करना शुरू किया। जब-जब उन्होने पैसे की मांग की मैंने पैसे उनके दिए बैंक अकाउंट में ऑनलाइन ट्रान्सफर किए। लगभग एक माह पूर्व एक दिन बिल्डर ने धमकी भरे अंदाज में कहा कि 6 लाख रूपये की जीएसटी की रकम जमा करो। अन्यथा मैं बचा हुआ निर्माण कार्य रोक दूंगा।

डॉ फरीद ने बताया कि बिल्डर राघवेंद्र सिंह की फर्म राघवेंद्र कंस्ट्रक्शन का जीएसटी नंबर 09BAYPS3701B1ZI विभाग द्वारा 30 सितंबर 2019 में ही कैंसल कर दिया गया था। वर्तमान में भी यह नंबर कैंसल चल रहा है।

डॉ फरीद ने जब बिल्डर राघवेंद्र सिंह से पूछा कि कैंसल जीएसटी नंबर पर आप जीएसटी कैसे ले सकते हो ग्राहक से। तो उसने कहा ग्राहक को पैसे देने से मतलब होना चाहिए न कि जीएसटी नंबर चल रहा है या बंद है। मैं जीएसटी का पैसा सरकार को दूं या न दूं यह मेरा और सरकार का मामला है। आपको क्या लेना देना।

डॉ फरीद के ने बताया कि बिल्डर राघवेंद्र सिंह द्वारा दिनांक 01-07-2017 से 29-09-2019 तक जीएसटी रिटर्न निल फाइल किया गया। जबकि इनका जीएसटी नंबर रेगुलर स्कीम के तहत पंजीकृत था। यही नहीं बिल्डर द्वारा दो माह पूर्व अपने ऑफिस का पता भी बदल दिया गया है।

डॉ फरीद ने बताया कि विगत 20 दिनों से उनके परिवार के सदस्यों ने हर संबंधित सरकारी कार्यालय से न्याय हेतु संपर्क साधा लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हुई। वर्तमान में करीब 40 प्रतिशत भवन निर्माण लंबित है। बिल्डर काम करने वापस नहीं आ रहा है।

इस मामले पर असिस्टेंट कमिश्नर जीएसटी वरुण कुमार त्रिपाठी कहा कि मुझे कई सूचनाएं मिली हैं कि कुछ बिल्डरों द्वारा जीएसटी नंबर पर अटैच बैंक अकाउंट पर भुगतान न लेकर अन्य अकाउंट में भुगतान लिया जा रहा है। कैंसल नंबरों पर भी जीएसटी वसूली के मामले संज्ञान में आए हैं। इस मामले में विभाग द्वारा अपनी टीम को एक्टिव कर ऐसे बिल्डरों की पहचान की जा रही है।

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