नई दिल्ली, आम आदमी पार्टी (आप) ने बीजेपी के खिलाफ लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन का हिस्सा बनने से क्यों इनकार कर दिया है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कुछ दिन पहले आप नेता अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा में कहा कि हमारा गठबंधन आम जनता और विकास के साथ है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो पार्टियां महागठबंधन में शामिल हो रही हैं, उनकी देश के विकास में कोई भूमिका नहीं है।

केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के कई नेता राज्यसभा में उपसभापति के चुनाव के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधते भी नजर आए। केजरीवाल ने दावा किया कि पहले राष्ट्रपति चुनाव और फिर अविश्वास प्रस्ताव में उन्होंने बिना मांगे कांग्रेस को समर्थन दिया, लेकिन कांग्रेस ने कभी सम्मानजनक बात नहीं की। सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन से दूरी की बात करने के पीछे आप नेताओं का मकसद कांग्रेस से दूरी दिखाना है। पार्टी नेताओं को लग रहा है कि कांग्रेस के साथ दिखने का माहौल बनना पार्टी के पक्ष में नहीं जा रहा है। साथ ही पार्टी के कोर कैडर को यह पसंद नहीं आ रहा है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस पर लगातार अटैक इसी माहौल को काउंटर करने की कोशिश है ताकि पार्टी अपने समर्थकों तक यह संदेश पहुंचा सके कि वह कांग्रेस के साथ हाथ नहीं मिलाने जा रही है।

आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव में अपना मुख्य फोकस दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में ही रखेगी। इसके अलावा यूपी की दिल्ली से लगी कुछ सीटों के अलावा मध्य प्रदेश की चंद सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। पार्टी का मानना है कि दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में उसका मुकाबला कांग्रेस से ही है, इसलिए कांग्रेस से दूरी बनाना जरूरी है। पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘हम हरियाणा में बीजेपी का विकल्प बन सकते हैं और पंजाब में तो कांग्रेस से मुकाबला ही है। ऐसे में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का सवाल नहीं है।’

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, आप जिस महागठबंधन से दूरी की बात कर रही है वह कांग्रेस या उसके नेतृत्व वाले गठबंधन से दूरी की बात है। उनका मानना है कि बीजेपी के खिलाफ राज्यवार गठबंधन हो सकते हैं। पार्टी के एक नेता के बताया, ‘हमें दिल्ली, पंजाब या हरियाणा में किसी के साथ गठबंधन की जरूरत नहीं लग रही क्योंकि यहां हम सीधे बीजेपी से मुकाबला कर सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि हम रीजनल पार्टियों का साथ तो दे रहे हैं।

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